CBSE Board Exams: सीबीएसई बोर्ड परीक्षा 2021 पोस्टपोन करने की मांग को लेकर दिल्ली-एनसीआर सहित आसपास के इलाकों के स्कूल प्रिंसिपल अलग राय दे रहे हैं. जानिए क्यों प्रिंसिपल नहीं चाहते कि एग्जाम पोस्टपोन हो.
CBSE Board Exams: दिल्ली और आसपास के इलाकों के कई स्कूलों के प्रिंसिपल कोविड-19 अगले साल परीक्षा पोस्टपोन करने के पक्ष में नहीं हैं. बता दें कि कोरोना महामारी के कारण देशभर में लगे लॉकडाउन के चलते स्कूल लगातार बंद रहे थे. इसी के चलते अगले साल सीबीएसई की बोर्ड परीक्षा (CBSE Board Exams) स्थगित करने की मांग हो रही है.
स्कूल प्राचार्यों का मानना है कि बोर्ड परीक्षाओं को स्थगित करना सही कदम नहीं होगा, क्योंकि इससे उच्च शिक्षा की प्रवेश परीक्षाओं और प्रवेश प्रक्रिया का कार्यक्रम भी प्रभावित होगा और इससे छात्रों को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. बता दें कि दिल्ली सरकार ने पिछले महीने CBSE को पत्र लिखकर मांग की थी कि अगले साल परीक्षाएं पोस्टपोन की जाएं. परीक्षाएं मई से पहले न करवाई जाएं और पाठ्यक्रम भी घटाया जाए, क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के कारण अब भी स्कूल बंद हैं.
PTI से बातचीत में दिल्ली इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल प्रियंका बरार ने कहा कि बोर्ड परीक्षाएं पोस्टपोन होने का असर दूर रहकर पढ़ाई कर रहे छात्रों के विकास और प्रदर्शन पर पड़ सकता है. उन्होंने तर्क दिया कि यह सत्र डिस्टेंस लर्निंग से परिचित होने का रहा है. ऐसे में छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए ये अलग अनुभव रहा है. कोरोना का टीका बनने को लेकर अभी तक कोई ठोस परिणाम नहीं मिलते दिख रहे हैं. इसलिए फिलहाल अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे. इसलिए अब बोर्ड परीक्षाएं टलने पर वक्त बरबाद करना सही नहीं रहेगा.
शालीमार बाग स्थित मॉर्डन पब्लिक स्कूल की प्राचार्य और दिल्ली सहोदय स्कूल कॉम्प्लेक्स की अध्यक्ष अलका कपूर ने कहा कि इस मुद्दे पर प्राचार्यों और शिक्षकों की राय जानने के लिए एक सर्वे करवाया गया था. उन्होंने बताया कि इसमें हमसे पूछा गया था कि परीक्षाएं कब करवाई जानी चाहिए? अधिकांश स्कूल प्रशासनों ने कहा कि बोर्ड परीक्षाएं 15 मार्च से अधिक नहीं टाली जानी चाहिए.
उन्होंने वजह बताते हुए कहा कि सीबीएसई बोर्ड की बारहवीं की परीक्षा का परिणाम और उच्च शिक्षा की प्रवेश परीक्षाएं आपस में जुड़े हैं. ऐसे में परीक्षाओं को टालने से अनावश्यक भ्रम पैदा होगा.
दूसरी वजह ये है कि हम सब इस बात पर सहमत थे कि पाठ्यक्रम को और घटाना ठीक नहीं होगा, बल्कि छात्रों को परीक्षाओं के बीच में कम से कम तीन से चार दिन का अंतर दिया जाए. वहीं सीबीएसई को भेजे पत्र में शिक्षा निदेशालय ने कहा था कि कोविड-19 के कारण वर्तमान सत्र के लगभग सात महीने कक्षा में शिक्षण नहीं हो सका. इसलिए सरकार ने सिलेबस घटाने की मांग की थी.
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